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OD account kya hai-OD Account in Hindi–Overdraft Kya Hai-OD ACCOUNT
OD account meaning-ओवरड्राफ्ट(OD account kya hai) क्या होता है? इस सुविधा के अनुसार आप अपने बैंक में जमा राशि से ज्यादा से ज्यादा पैसे निकाल सकते हैं इसकी एक अलग प्रक्रिया होती है और बैंक की कुछ शर्तों का पालन करना पड़ता है। उसके बाद ही आप बैंक की ओवरड्राफ्ट सुविधा का पूरा लाभ ले सकते है आइए विस्तार से जानते हैं कि बैंक ओवरड्राफ्ट(OD ACCOUNT) कैसे मिल सकता है? और किस किस को ओवर ड्राफ्ट मिल सकता है? बैंक ओवरड्राफ्ट क्या हैं?
इस बैंक ओवरड्राफ्ट(OD account kya hai) ओवरड्राफ्ट, बैंक द्वारा दी गई एक सुविधा है जिसके अनुसार अगर आपके खाते में शून्य पैसे हो तो भी आप अपने बचत खाते या चालू खाते से पैसे आसानी से निकाल सकते हैं। यह सुविधा लगभग हर बैंक के द्वारा अपने ग्राहकों को दी जाती है।
ओवरड्राफ्ट(OD account kya hai) एक तरह से अल्पावधि ऋण है जो कि ग्राहकों को एक निश्चित समय सीमा के पहले चुकाना पड़ता है। ओवर ड्राफ्ट लेते समय ग्राहकों को ली गयी कुल रकम पर बैंक को कुछ व्याज भी देना होता है। इस सुविधा के द्वारा कस्टमर अपने खाते से जीरो बैलेंस के बाद भी बैंक द्वारा तय की गयी रकम की सीमा तक पैसा निकाल सकता है। कस्टमर जितना पैसा प्रयोग करने के लिए निकालेगा उस पैसे पर कस्टमर को ब्याज देना होता है।
ओवरड्राफ्ट(OD ACCOUNT) कितना प्रकार का होता है? Types of Overdraft
अधिकृत ओवरड्राफ्ट:-
इस तरह के ओवर ड्राफ्ट(OD Account) पूर्ण नियोजित अर्थात व्यवस्थित होते हैं अधिकृत तौर पर ड्राफ्ट में बैंक और व्यक्ति के बीच में पहले से ही स्वीकृति होती है कि वह व्यक्ति बैंक से एक निश्चित सीमा में ही ओवरड्राफ्ट के पैसे निकाल सकता है इसके लिए उन्हें कुछ सेवा शुल्क देना पड़ता है और यह शुल्क प्रतिदिन हफ्ते में या महीने में भी दिया जा सकता है। मुख्य तौर पर अधिकृत ओवरड्राफ्ट को चुना जा सकता है क्योंकि इसमें सभी चीजें व्यवस्थित होती है लेकिन कई बार यह महंगी हो सकती है तो इससे सावधान रहना आवश्यक है।
अनाधिकृत ओवरड्राफ्ट:-
इस तरह के ओवर ड्राफ्ट(OD ACCOUNT) में कोई पूर्ण व्यवस्था नहीं होती है और यह सब ओवरड्राफ्ट अनियोजित होते हैं इन ओवर ड्राफ्ट में आप बैंक और आपके बीच हुए समझौते से ज्यादा ओवर ड्राफ्ट की रकम यदि निकालते हैं तो आपको बाद में कुछ शुल्क देना आवश्यक होता है। इसमें अतिरिक्त शुल्क की मात्रा काफी ज्यादा होती है जो कि इस ओवर ड्राफ्ट को और भी महंगा बना देता है।
अब हम बात करते हैं ओवरड्राफ्ट(OD ACCOUNT) किस किस रूप में लिया जा सकता है। यदि आपने संपत्ति के अगेंस्ट ओवरड्राफ्टलिया है और अगर आप ऋण राशि निर्धारित समय पर चुकाने में असफल रहते हैं तो ऋणदाता के पास आपकी संपत्ति को नीलाम करने का हक होता है।
ओवरड्राफ्ट(OD account) अकाउंट पर व्याज का कैलकुलेशन कैसे होता है ?
जब भी आपको पैसे की जरूरत होती है तो राशि सीधे आपके बैंक खाते में ओवरड्राफ्ट के रूप में भेज दिया जाती है। अपने खाते पर बैंक से ओवरड्राफ्ट लेने पर आप अपने खाते में बकाया राशि को बढ़ाते रहते हैं और जैसे ही आप अपने खाते में राशि जमा करते हैं तो वह अपने आप ही बैंक द्वारा आपके खाते से बकाया राशि काट ली जाती है, जब तक की ओवरड्राफ्ट की रकम पूरी नहीं हो जाती है।
अपने बैंक से जितनी भी ओवरड्राफ्ट(OD ACCOUNT) राशि ली है उस पर ब्याज की गणना हर रोज़ की जाती है क्योंकि अगर कर्ज लेने वाला, बैंक में राशि जमा करवाता है तो बैंक बिना बताए उस राशि को उसके द्वारा ली गई ओवरड्राफ्ट राशि को कम करने में इस्तेमाल कर सकता है। इसलिए ओवर ड्राफ्ट की राशि कम होती जाती है। इसी कारण से ओवर ड्राफ्ट की रकम पर ब्याज की गणना रोजाना की जाती है, क्योंकि ब्याज की राशि रोजाना बदल सकती है।
व्यापारियों के लिए ओवरड्राफ्ट(OD ACCOUNT) – Overdraft Account For Self Employed
ओवर डॉक्टर की सुविधा बिज़नेस व्यापारियों के लिए भी बहुत ही लाभदायक होता है। ओवरड्राफ्ट(OD ACCOUNT) व्यापारियों के लिए एक जीवन दान की तरह होता है। अगर किसी व्यापारी के बैंक खाते में राशि समाप्त हो जाए तो वह व्यापारी ओवर ड्राफ्ट का उपयोग करके पैसे कुछ समय के लिए ले सकता है। यह सुविधा मध्यम श्रेणी के व्यापारियों के लिए सबसे ज्यादा लाभदायक होती है।
व्यापारी इस सेवा का इस्तेमाल तभी कर सकते हैं जब उनके बैंक खाते में जमा राशि जीरो हो और उन्हें लेन देन में ज्यादा रकम की आवश्यकता है तो ऐसी स्थिती में बैंक के द्वारा व्यापार ओवरड्राफ्ट(OD ACCOUNT) सुविधा ग्राहकों के लिए कारगर सिद्ध होती है और उसे निर्धारित समय तक आप चुका भी सकते हैं हालांकि इस राशि पर आपको कुछ ऋण देना होता है।
सीसी अकाउंट क्या है?- CC Account Kya Hai?
हम बात करने वाले हैं कैश क्रेडिट और ओवरड्राफ्ट फैसिलिटीज के बारे में अब देखिए अगर आपको बिज़नेस चलाते हैं तो पैसों की रिक्वायरमेंट हर बिज़नेस में चाहिए होती है। ऐसे इंडीविजुअल भी हम लोगों को पैसों की रिक्वायरमेंट पड़ जाती है।
कैश क्रेडिट(cc account meaning) एक तरीके का शॉर्ट टर्म लोन फैसिलिटी है जो बैंक द्वारा किसी भी बिज़नेस के एक कम्पलीट वर्किंग कैपिटल साइकिल में आने वाले खर्चे को फाइनेंस करती है। जैसे एक मैन्युफैक्चरर को कच्चा मैटेरियल खरीदने से लेकर, सामान बनाकर बेचने और बेचकर पैसा वापस पाने तक के बीच में जो भी समय लगता है उसे एक मैन्युफैक्चरर की कम्पलीट वर्किंग कैपिटल साइकिल कहते है।
कैश क्रेडिट(cc account) की जरुरत क्यू है?
कैश क्रेडिट(cc account) और ओवरड्राफ्ट आखिर होता क्या है कैश क्रेडिट(cc account) की अगर हम बात करें तो ये एक तरीके का शॉर्ट टर्म लोन होता है जो जेनरली कंपनीस को या बिज़नेस को प्रोवाइड किया जाता है उनकी वर्क कैपिटल रिक्वायरमेंट के लिए वर्किंग कैपिटल रिक्वायरमेंट का मतलब है मान लीजिए आपकी कोई मैनुफैक्चरिंग है आपको रॉ मटेरियल खरीदना पड़ता है उसके लिए पैसे नहीं है आपके पास तो वो एक आपकी रिक्वाइर्मन्ट हो सकती है फिर उसके बाद आपको स्टॉक्स मेंटेन करने के लिए कुछ टाइम पीरियड लग सकता है तब तक आपको अपने खर्चे चलाने होंगे।
उसके लिए भी आपको पैसों की जरूरत पड़ सकती है आपके रिसीवेबल्स हो सकते हैं तो अगर हम इसको एग्ज़ैम्पल से समझें मान लीजिए एक सोलर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है तो उसको अगर रॉ मटीरियल्स खरीदने के लिए पैसा चाहिए तो एक तो वहाँ उसकी रिक्वाइर्मन्ट आ जाती है। उसके बाद वो इमीडियेटली तो बिक नहीं जाएगा। कच्चा माल पहले पहले वो प्रोसेसर करेगा। मैनुफैक्चर करेगा, तो उसे हम वर्क इन प्रोग्रेस में डालेंगे।
अब मान लीजिये कच्चा मटीरीअल आपका थोड़े टाइम तक वेयरहाउस में पड़ा रहेगा तो वो एक साइकिल होती है 20 दिन की साइकिल है। मान लीजिए वो उसके बाद वर्क इन प्रोग्रेस से आपकी फिनिश्ड गुड्स में जाएगी तो इस तरीके के जब तक आपके पैनल बनेंगे तो उसका भी एक टाइम पीरियड होता है वो भी 30 दिन का पकड़ लेते हैं। फिनिश गुड से लेके आपके इमीडिएट्ली तो बेच नहीं जाएंगे। जितनी भी पैनल्स है तो मान लेते हैं लेते हैं कि 45 दिन के अंदर मात्रा माल बिकता है कस्टमर तक पहुंचता है। तो इस तरह से टोटल 110 दिन लग जाते है जो कच्चे माल से सामान बनाने और बेचकर पैसा वापस पाने को एक कम्पलीट बिज़नेस साइकिल कहते है। हम इसे ही वर्किंग कैपिटल साइकल भी बोलते है।
ओवरड्राफ्ट(OD account) क्या है ?
ओवरड्राफ्ट एक तरह से अल्पावधि ऋण है जो कि ग्राहकों को एक निश्चित समय सीमा के पहले चुकाना पड़ता है। ओवर ड्राफ्ट लेते समय ग्राहकों को ली गयी कुल रकम पर बैंक को कुछ व्याज भी देना होता है। इस सुविधा के द्वारा कस्टमर अपने खाते से जीरो बैलेंस के बाद भी बैंक द्वारा तय की गयी रकम की सीमा तक पैसा निकाल सकता है। कस्टमर जितना पैसा प्रयोग करने के लिए निकालेगा उस पैसे पर कस्टमर को ब्याज देना होता है।
ओवरड्राफ्ट(OD account) कितना प्रकार का होता है?
ओवरड्राफ्ट दो प्रकार का होता है।
1 :- अधिकृत ओवरड्राफ्ट
2 :- अनाधिकृत ओवरड्राफ्ट
सीसी अकाउंट (CC ACCOUNT KYA HAI) क्या है ?
कैश क्रेडिट एक तरीके का शॉर्ट टर्म लोन फैसिलिटी है जो बैंक द्वारा किसी भी बिज़नेस के एक कम्पलीट वर्किंग कैपिटल साइकिल में आने वाले खर्चे को फाइनेंस करती है। जैसे एक मैन्युफैक्चरर को कच्चा मैटेरियल खरीदने से लेकर, सामान बनाकर बेचने और बेचकर पैसा वापस पाने तक के बीच में जो भी समय लगता है उसे एक मैन्युफैक्चरर की कम्पलीट वर्किंग कैपिटल साइकिल कहते है।
अधिकृत ओवरड्राफ्ट क्या है ?
इस तरह के ओवर ड्राफ्ट पूर्ण नियोजित अर्थात व्यवस्थित होते हैं अधिकृत तौर पर ड्राफ्ट में बैंक और व्यक्ति के बीच में पहले से ही स्वीकृति होती है कि वह व्यक्ति बैंक से एक निश्चित सीमा में ही ओवरड्राफ्ट के पैसे निकाल सकता है इसके लिए उन्हें कुछ सेवा शुल्क देना पड़ता है और यह शुल्क प्रतिदिन हफ्ते में या महीने में भी दिया जा सकता है। मुख्य तौर पर अधिकृत ओवरड्राफ्ट को चुना जा सकता है क्योंकि इसमें सभी चीजें व्यवस्थित होती है लेकिन कई बार यह महंगी हो सकती है तो इससे सावधान रहना आवश्यक है।
OD account full form
ओवरड्राफ्ट अकाउंट