होम लोन कितने प्रकार का होता है।

Types Of Home Loan

आज सभी लोग अपने घर में रहना चाहते है। किराए पर रहने से बेहतर है, एक अपना घर लेना जिसमे सकूँन की जिंदगी जी सके। यदि आपके पास अपना खुद का वजट है, तो आप घर खरीदने में कोई दिक्कत नहीं होगी। यदि आपके पास बजट काम है तो होम लोन की तरफ देख सकते है। होम लोन किस तरह का है ये आपके ऊपर निर्भर करता है। आप फ्लैट लेना चाहते है, आपके पास जमीन है उसके ऊपर घर बनाना चाहते है, जमीन खरीदकर घर बनवाना चाहिए है। इन सभी तरह के कार्य के लिए बैंक लोन देता है। आइये जानते है होम लोन ( Types of House Loans ) कितने प्रकार का होता है ?

Types of Home Loan

Types of House Loans

घर खरीदने के लिए लोन।। Home Purchase Loan ।। Loan To Buy House ।।

यह लोन उनके लिए बेहतर है, जिन्हें नया घर या संपत्ति को खरीदना है। यदि आप रहने के नया घर खरीदा चाहते है। आप बैंक के मैनेजर से बात करे। सबसे ज्यादा अच्छा रहेगा जिस बैंक में आपका अकाउंट है लोन वही से आवेदन करे। यह होम लोन (House Purchase Loan) निश्चित अथवा फ्लोटिंग रेट पर मिल सकता है और इसको चुकाने की अवधि 30 साल तक बढ़ाई जा सकती है।

प्री-अप्रूव्ड होम लोन।। Pre Approved Home Loan ।। Mortgage Pre Approval ।। Types of House Loans

यदि आपका अकाउंट किसी बैंक में है और उस अकाउंट में ट्रान्सेक्शन ठीक ठाक है, उस स्थिति में बैंक आपको प्री एप्रूव्ड लोन ऑफर करता है घर खरीदने के लिए। यह एक सॉफ्ट अप्रूवल(Online Home Loan Approval) होता है जिसमे आपके होम लोन के अमाउंट अप्रूवल पहले से तय होता है। इस तरह के लोन में आपको घर की प्रॉपर्टी के पेपर का सिर्फ जांच करवाना होता है। यह एक ऐसा लोन है जो उन संभावित घर खरीदार के लिए है जो पहले से ही क्रेडिट योग्यता, आय आवश्यकताओं और बैंक द्वारा लगाए गए वित्तीय स्थिरता के लिए प्राथमिक स्तर की बाधा पार कर चुके हैं।

गृह निर्माण लोन ।। Home Construction Loan ।। House Building Loan

यदि आपके पास पहले से जमीन है या आप भूमि के कुछ हिस्से पर घर या आवासीय इकाई बनाने की योजना बना रहे हैं, तो गृह निर्माण लोन आपके लिए आदर्श विकल्प है। आप इस लोन का लाभ अधिकतम 15 वर्षों तक की अवधि के लिए ले सकते हैं। इस स्कीम(House Construction Loan) के तहत आपको सरकारी बैंक, प्राइवेट बैंक, नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनीया भी लोन देती है।

आवासीय प्लॉट खरीदने के लिए लोन ।। Plot Purchase Loan ।। Types of House Loans

आवासीय प्लॉट लोन(Land Purchase Loan) एक प्रकार का होम लोन है जो विशेष रूप से घर के निर्माण के लिए जमीन का प्लॉट खरीदने के लिए होता है। इस लोन के तहत दी जाने वाली लोन राशि उस प्लॉट के मूल्य पर निर्भर करेगी जिसे आप खरीदना चाहते हैं और आपकी क्रेडिट प्रोफाइल, अन्य बातों के अलावा। यह लोन टोटल प्लाट के कीमत का 50% से 60% तक मिलता है।

टॉप-अप लोन ।। Home Loan Top Up

एक टॉप-अप लोन, जैसा कि नाम से पता चलता है, एक ऐसा लोन है, जिसे एक उधारकर्ता अपने मौजूदा होम लोन के अलावा ले सकता है। इस लोन का उपयोग व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है। टॉप अप लोन हमेशा आपके लोन एलिजिबिलिटी पर निर्भर करता है। यह एलिजिबिल्टी हमेशा आपके महीने के इनकम पर निर्भर करता है। (Types of House Loans)

गृह विस्तार/नवीनीकरण लोन ।। Home Renovation Loan ।। Home Improvement Loans

यदि आपका घर पुराना है। यदि आप अपने मौजूदा घर का विस्तार करना चाहते है। यह(House Renovation Loan) उन लोगों के लिए आदर्श होम लोन है, जो अपनी मौजूदा संपत्ति का नवीनीकरण करना चाहते हैं, या इसे विस्तारित करना चाहते हैं।

होम लोन बैलेंस ट्रांसफर ।। Home Loan Balance Transfer

बकाया होम लोन की शेष राशि मौजूदा लोनदाता से एक नए लोनदाता को आमतौर पर अधिक अनुकूल शर्तों जैसे कि कम ब्याज दर, या लंबी चुकौती अवधि के लिए हस्तांतरित की जाती है। होम बैलेंस ट्रांसफर(Home Loan Takeover by Other Bank) करने से पहले एक बार मौजूदा बैंक और नए बैंक के ब्याज में लाभ और हानि का गणना कर लेना चाहिए, जिससे होम लोन ट्रांसफर करने के बाद घाटा ना हो।

होम लोन क्या होता है ? होम लोन के लिए कैसे अप्लाई करे ?

होम लोन इन इंग्लिश

पेटीएम से लोन कैसे ले – Paytm personal loan

Paytm personal loan-आज कल बैंक से लोन लेने के लिए आप का तमाम तरह की औपचारिकता करनी पड़ेगी। जिसमे पेपर वर्क से लेकर बैंक की भागदौड़ इत्यादि। भारतीय बाज़ार में लोन के लिए तमाम ऑप्शन मौजूद है। बैंक और फाइनेंस कम्पनीया आपको आसान और सस्ते व्याज पर लोन दे रही है। लेकिन तमाम तरह की औपचारिकता से बचना चाहते है तो आपके पास और भी ऑप्शन मौजूद है। जिससे आप लोन आसानी से ले सकते है। आजकल भारतीय बाजार में तमाम लोन एप्प मौजूद है जिससे आप २ मिनट्स के अंदर आप लोन ले सकते है। उनमे से एक पेटीएम एप्प है जिसके द्वारा आप लोन, क्रेडिट कार्ड, ओवर ड्राफ्ट (पेटीएम पोस्टपेड ) यूज कर सकते है।

paytm se personal loan

पेटीएम से लोन कैसे अप्लाई करे। Paytm Se Loan Kaise Le

ऊपर दिए गए पिक्चर में आप देख सकते है पेटीएम आपको पर्सनल लोन(Paytm personal loan), क्रेडिट कार्ड, ओवर ड्राफ्ट (पेटीएम पोस्टपेड ) प्रदान करता है। आज हम आपको पेटीएम लोन के बारे में बतायंगे। कैसे आप पेटीएम से लोन अप्लाई करेंगे। यदि आपके मोबाइल में पेटीएम इस्टाल है। आप पेटीएम ओपन कीजिये और देखिये पर्सनल लोन(Paytm personal loan) कहा लिखा हुआ है चेक कीजिये। वहा जाकर आपको अप्लाई करना होगा।

यदि आपको पर्सनल लोन नहीं दिखाई दे रहा है तो उस कंडीशन में आप सर्च बार में जाकर personal loan लिखकर सर्च कर सकते है ,

paytm personal loan

पर्सनल लोन(Paytm personal loan) सर्च करने के बाद जैसे ही आपको पर्सनल लोन दिखाई दे। आप उस पर क्लिक कर सकते है। जिससे आगे का प्रोसेस आप लोन अप्लाई करने के लिए स्टार्ट कर सकते है।

पेटीएम से लोन का प्रोसेस :-

बेसिक डिटेल्स :-

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अब आपके सामने बेसिक डिटेल्स वाला स्क्रीन ओपन हो जाएगा, जिसमे आप बेसिक डिटेल्स फील करेंगे जिसमे आप पैन कार्ड नंबर, डेट ऑफ़ बर्थ, नाम और ईमेल आईडी फील करेंगे। ये सभी डिटेल्स फील करने के बाद प्रोसीड बटन पर क्लिक करके प्रोसेस कर देंगे।

एडवांस डिटेल्स :-

paytm  se  loan

अब आपको एडवांस डिटेल्स भरना होगा जिसमे आप को बताना होगा की आप जॉब करते है या बिज़नेस करते है या कुछ भी नहीं करते है। यद् रही ऊपर वाले स्क्रीन में आप या तो salaried या self employeed का ऑप्शन चुनेगें तभी आपको लोन(Paytm personal loan) मिलेगा। तीसरा विकल्प चुनने लोन नहीं मिलेगा।

इसमें आप अपना नाम , वार्षिक आय, माता और पिता का नाम भरना होगा। ये सभी डिटेल्स भरने के बाद जैसे ही confirm बटन पर आप क्लिक करेंगे। आगे का प्रोसेस शुरू हो जाएगा।

लोन एलिजिबिलिटी चेकर :-

paytm  se  loan
paytm  se  loan

एडवांस डिटेल्स भरने के बाद जैसे ही confirm बटन पर आप क्लिक करेंगे लोन अमाउंट चेक की प्रकिया शुरू हो जाएगी और आपके सामने लोन अमाउंट(Paytm personal loan) आपको दिख जायेगा की आप को अधिकतम कितना लोन अमाउंट मिल जायेगा। यह लाओं अमाउंट आपके सिबिल स्कोर पर निर्भर करता है ,जितना ही आपका सिबिल स्कोर अच्छा होगा आपको लोन अमाउंट(Paytm personal loan) उतना ही अच्छा मिलेगा। आपको Paytm personal loan से अधिकतम Rs 2 लाख तक का लोन अमाउंट मिल सकता है।

लोन अमाउंट(Paytm personal loan) और लोन अवधि तय करना :-

एक बार लोन अमाउंट का अप्रूवल आने के बाद आप चाहे तो लोन अमाउंट अपने हिसाब सकते है। इस डील में आपको सभी ऑफर डिटेल्स दिए होते है जैसे की लोन अमाउंट, रेट ऑफ़ इंटरेस्ट, लोन पेमेंट करने की अवधि, प्रोसेसिंग फीस।

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KYC वेरिफिकेशन और बैंक अकाउंट डिटेल्स :-

लोन ऑफर आने के बाद अब आपको अपनी KYC (पैन कार्ड, आधार कार्ड की कॉपी ) और बैंक अकाउंट डिटेल्स भरना कर सबमिट करना है। इसके बाद PAYTM इस kyc और बैंक अकाउंट डिटेल्स को वेरिफाय करता है और साथ में एक सेलफी भी अपलोड करने के लिए बोलता है।

paytm se loan

जैसे हे ये सारा प्रोसेस पूरा होगा कुछ इस तरह का स्क्रीन दिखाई देगा।

paytm se loan

लोन एग्रीमेंट :-

KYC, बैंक अकाउंट और सेल्फी अपलोड करने के बाद वेरफिकेशन के बाद आपके पास लोन एग्रीमेंट किट सबमिट करना होता है । जिसके बाद आपके अकाउंट में पैसा प्रोसेसिंग फीस काट कर के बाद क्रेडिट करा दिया जाता है। .

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पेटीएम से लोन लेने के फायदे :-

पेटीएम से लोन आसानी से मिल जाता है ये सभी प्रोसेस करने में मुश्किल से 5 मिनट्स का समय लगता है और किसी भी दिन आसानी से आपली कर कर सकते है। ज्यादा आपको भागदौड़ नहीं करना होगा। सिर्फ पेटीएम एप्प डोनलोड करके आपको ये सारा प्रोसेस पूरा करना होगा। और लोन 5 मिनट्स के अंदर आपके अकाउंट में क्रेडिट।

पेटीएम से लोन लेने के नुकसान :-

बैंक और फाइनेंस कम्पनी आपको सस्ते ब्याज पर लोन देती है , जबकिये लोन एप्प जैसे की पेटीएम द्वारा आप लोन लेते है तो आपको ज्यादा व्याज देना होगा। पेटीएम आपसे वार्षिक 28 % reducig रेट के हिसाब से देता है और प्रोसेसिंग फीस 3 % से लेकर 5 % पर देता है। जबकि बैंक का ब्याज दर 16 % से 20 % reducig रेट के बीच में होता है।

पेटीएम से लोन अप्लाई करने में कितना टाइम लगता है ?

सिर्फ 5 मिनट्स के अंदर आप पेटीएम से लोन अप्लाई कर सकते है।

पेटीएम से लोन अप्लाई करने के बाद कितने देर में पैसा अकाउंट में आ जाता है ?

पेटीएम से लोन अप्लाई करने के बाद 2 मिनट्स के अंदर पैसा अकाउंट में क्रेडिट हो जाता है।

पेटीएम से लोन व्याज क्या होता है ?

28 % Reducing वार्षिक

पेटीएम से अधिकतम कितना लोन मिल सकता है ?

पेटीएम से अधिकतम Rs 2 लाख का लोन मिल सकता है।

कुछ महत्वपूर्ण ब्लॉग :-

पर्सनल लोन इन इंग्लिश
बिज़नेस लोन इन हिंदी
होम लोन की जानकारी हिंदी में।
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Personal loan in Hindi

पर्सनल लोन 2022।।Personal loan information in hindi

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पर्सनल लोन मंज़ूरी की संभावना को बेहतर बनाने के लिए टिप्स (Loan Kaise Milta Hai)

यहां सामान्य मानदंड दिए गए हैं, जिन्हें आपको अपने पर्सनल लोन आवेदन के लिए मंज़ूरी प्राप्त करने के लिए पूरा करना होगा।

पर्सनल लोन(Personal loan apply) आपके नियोजित या अनियोजित खर्चों के लिए शीघ्र धन प्राप्त करने में आपकी मदद कर सकता है। आप इन ऋणों का आसानी से लाभ उठा सकते हैं क्योंकि वे नॉन कोलेट्रल  हैं और आपको केवल कुछ क्लिक के साथ ऑनलाइन आवेदन करने की अनुमति देते हैं या इसे आप ऑफ लाइन भी आवेदन कर सकते है। 

पर्सनल लोन लेने से पहले आप पर्सनल लोन की EMI के बारे जान लेना बहुत ही आवश्यक है। जिसे आप EMI कैलकुलेटर से निकल सकते है। 

आये अब हम जाने पर्सनल लोन का उपयोग किस लिए कर सकते है :- 

● गृह नवीनीकरण व्यय (Home renovation)

● ऋण समेकन ( पुराने कर्ज को समाप्त करने के लिए )

● शादी विवाह (Marriage loan)

● यात्रा लागत

● चिकित्सा प्रक्रियाएं

● ट्यूशन या शिक्षा शुल्क

पर्सनल लोन लेने के क्या मानदंड होना चाहिए ?

यहां सामान्य मानदंड दिए गए हैं जिन्हें आपको अपने व्यक्तिगत ऋण आवेदन के लिए स्वीकृति प्राप्त करने के लिए पूरा करना होगा।

  1. वेतनभोगी व्यक्ति (वेतन>= 25,000/- रुपये)
  2. केवल निवासी भारतीय (कोई एनआरआई नहीं)
  3. केवल सरकार, पीएसयू, एमएनसी, सूचीबद्ध कंपनियों और प्रतिष्ठित सार्वजनिक और निजी लिमिटेड कंपनियों के कर्मचारी।
  4. न्यूनतम नौकरी का अवधि  कुल 3 साल का होना चाहिए। 
  5. नियोक्ता द्वारा पीएफ कटौती। 
  6. कंपनी का न्यूनतम टर्नओवर 10 करोड़ रुपये और न्यूनतम पीबीटी 1 करोड़।
  7. आईटीआई डिप्लोमा जैसे तकनीकी क्षेत्रों में या न्यूनतम स्नातक या डिप्लोमा धारक होना चाहिए।
  8. सिबिल स्कोर 750  से अधिक होना चाहिए
  9. पर्सनल लोन के लिए न्यूनतम  आयु  23 वर्ष / 25 वर्ष और अधिकतम आयु 60 वर्ष से ज्यादा नहीं होना चाहिए। 

अपनी व्यक्तिगत ऋण पात्रता बढ़ाने और उच्च ऋण राशि के साथ सस्ती ब्याज दरों को सुरक्षित करने के लिए, इन शीर्ष युक्तियों का पालन करें और बिना किसी परेशानी के पर्सनल लोन के लिए स्वीकृति प्राप्त करें।

यदि आपका ऋण दियित्व, आपके निश्चित आय के अनुपात से अधिक है। ऐसे मामलों में, ऋणदाता आपके ऋण आवेदन को स्वीकार नहीं कर सकते हैं। यहां तक ​​कि अगर वे आपको लोन देते  हैं, तो अतिरिक्त जोखिम को कवर करने के लिए आपसे अधिक ब्याज लिया जा सकता है। आमतौर पर, 50% से 60% के एफओआईआर(FOIR- FIXED OBLIGATON INCOME RATIO ) को कम-ब्याज वाले व्यक्तिगत ऋण के लिए पात्र होने के लिए आदर्श माना जाता है। यदि आपका FOIR 60% से अधिक है तो बैंक आपको ऋण देने से मना कर देगा।  पर्सनल लोन के लिए अप्लाई करने से पहले अपने क्रेडिट कार्ड बिलों और अन्य देनदारियों का भुगतान करना जरुरी होता है।

पर्सनल लोन के लिए आवशयक डाक्यूमेंट्स(Personal loan documents) :-

केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) know your customer

आईडी प्रूफ/जन्म प्रमाण पत्र
पासपोर्ट, पैन कार्ड, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, सरकारी निकाय द्वारा जारी पहचान पत्र
रेजिडेंस एड्रेस प्रूफपासपोर्ट, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, सरकारी निकाय द्वारा जारी पहचान पत्र, बिजली बिल, पानी बिल, हाउस टैक्स रिसीप्ट
इनकम प्रूफ1. नवीनतम 3 वेतन पर्ची
2.     फॉर्म 16 /फॉर्म 26 AS आईटीआर
3.     पिछले 3 महीने का बैंक स्टेटमेंट उन सभी आवेदकों के वेतन क्रेडिट को दर्शाता है जिनकी वेतन आय पर विचार किया जा रहा है।
4.     पिछले 3 महीनों के लिए कोई अन्य बैंक स्टेटमेंट जहां से आपकी EMI जा रही हो। 
नोट: – वेतन केवल सीधे बैंक क्रेडिट के माध्यम से ही
हस्ताक्षर प्रमाण पत्र1.     पासपोर्ट
२.     पैन कार्ड
3.     बैंक द्वारा सत्यापित हस्ताक्षर प्रमाण

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एक अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाए रखें

आपका CIBIL या क्रेडिट स्कोर आपके क्रेडिट इतिहास को दर्शाता है और उधारदाताओं को यह समझने में मदद करता है कि आपने अतीत में ऋण से कैसे निपटा है। ईएमआई और क्रेडिट कार्ड बिल जैसे अपने क्रेडिट बकाया का समय पर भुगतान करने से आपको एक स्वस्थ सिबिल स्कोर बनाने में मदद मिल सकती है। अपनी क्रेडिट उपयोगिता दर को 30% से कम रखने से क्रेडिट मिक्स के साथ अनुभव में भी मदद मिलती है। ध्यान दें कि पर्सनल लोन के लिए 750 या उससे अधिक का क्रेडिट स्कोर सबसे अच्छा माना जाता है। इस तरह का स्कोर आपकी व्यक्तिगत ऋण पात्रता को बढ़ाता है और आपको एक अधिक विश्वसनीय उधारकर्ता के रूप में स्थापित करता है।

अपने सभी आय स्रोतों का उल्लेख करें

यदि आप केवल अपनी मूल आय विवरण प्रदान करते है तो आपको कम ऋण राशि मिलेगी । हालांकि, आय के अतिरिक्त स्रोतों जैसे लाभांश, किराया, और बहुत कुछ शामिल करके आसानी से अधिक से अधिक पर्सनल लोन प्राप्त कर सकते है ।

अपने जीवनसाथी या माता-पिता को सह-उधारकर्ताओं के रूप में जोड़ें

यदि अकेले आपकी क्रेडिट प्रोफ़ाइल अच्छी नहीं है, तो अपने माता-पिता या जीवनसाथी को सह-आवेदक के रूप में शामिल करें। यदि उनका क्रेडिट स्कोर और आय अधिक है, तो यह आपकी पुनर्भुगतान क्षमता में वृद्धि करेगा और आपको कम  ब्याज दर पर उच्च व्यक्तिगत ऋण राशि प्राप्त करने में मदद करेगा।

एक साथ कई ऋणों के लिए आवेदन न करें

एक ही समय में कई ऋणों के लिए आवेदन करने से आपकी क्रेडिट स्कोर को नुकसान हो सकता है और आपका सिबिल स्कोर कम हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि जब आपको पैसों की जरूरत हो तभी आप लोन के अप्लाई करें, जल्दबाजी न करें। विभिन्न उधारदाताओं द्वारा दिए गए व्यक्तिगत ऋणों की तुलना करें और जहा आपको सबसे अच्छा रेट ऑफ़ इंटरेस्ट और लोन अमाउंट आपके जरुरत के हिसाब से मिल रहा हो, वहा आप सर्वोत्तम अवसर के साथ आवेदन कर सकते हैं।

एक विस्तारित अवधि चुनें

लंबी अवधि के लिए अपनी ईएमआई का भुगतान करने से आपकी किश्तों की राशि कम करने  में मदद मिलती है । लंबी अवधि चुनकर, आप अपने पुनर्भुगतान के बोझ को कम कर सकते हैं।  यदि आप छोटी अवधि के लोन की समय चयन करते है तो EMI का बोझ बढ़ जाएगा। 

नोट :-इन युक्तियों को ध्यान में रखते हुए, आप अपनी व्यक्तिगत ऋण पात्रता को सफलतापूर्वक बढ़ा सकते हैं। अधिकतम लाभ प्राप्त करने और तनाव मुक्त अनुभव प्राप्त करने के लिए, सही ऋणदाता चुनें। 

व्यक्तिगत लोन(Personal Loan) कब लेना चाहिए?

जब आपके बहुत ही ज्यादा पैसे की जरुरत हो और आपके पास पैसे की कमी है। तब जाकर आपको पर्सनल लोन लेना चाहिए, क्योकि पर्सनल लोन एक असुरक्षित ऋण है जिसका पर बैंक ब्याज ज्ज्यादा वसूलता है।

व्यक्तिगत लोन का उपयोग किस लिए किया जा सकता है?

व्यक्तिगत लोन(पर्सनल लोन) का उपयोग शादी, एजुकेशन, घर का मरम्मत, कही बाहर घूमने जाने के लिए, हॉस्पिटल खर्चा के लिए इत्यादि।

क्या मैं पर्सनल लोन के लिए फिक्स्ड या फ्लोटिंग रेट में से किसी एक को चुन सकता हूं?

बिल्कुल, आप चाहे तो फिक्स्ड या फ्लोटिंग रेट में से किसी एक को चुन सकते है। वैसे फ्लोटिंग रेट अच्छा होता है।

मुझे पर्सनल लोन प्राप्त करने में कितना समय लगेगा?

यदि आपके पास बैंक की पालिसी के हिसाब से सभी डाक्यूमेंट्स है तो ये मुश्किल से 2 से 3 दिन का प्रोसेस होता है।

क्या मुझे अपना पर्सनल लोन प्राप्त करने के लिए बैंक खाते की आवश्यकता है?

पर्सनल लोन प्राप्त करने के लिए आपके पास किसी भी एक बैंक में खाता (अकाउंट) होना चाहिए।

पर्सनल लोन कितना मिल सकता है

यह आपके आय और चल रहे ऋण के ऊपर निर्भर करता है। आपका सिबिल स्कोर कितना है, यह भी देखा जाता है।

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पेटीऍम से लोन कैसे ले

OD Account in Hindi-CC Account in Hindi-OD account kya hai-OD ACCOUNT

OD and CC account

OD account kya hai-OD Account in HindiOverdraft Kya Hai-OD ACCOUNT

OD account meaning-ओवरड्राफ्ट(OD account kya hai) क्या होता है? इस सुविधा के अनुसार आप अपने बैंक में जमा राशि से ज्यादा से ज्यादा पैसे निकाल सकते हैं इसकी एक अलग प्रक्रिया होती है और बैंक की कुछ शर्तों का पालन करना पड़ता है। उसके बाद ही आप बैंक की ओवरड्राफ्ट सुविधा का पूरा लाभ ले सकते है आइए विस्तार से जानते हैं कि बैंक ओवरड्राफ्ट(OD ACCOUNT) कैसे मिल सकता है? और किस किस को ओवर ड्राफ्ट मिल सकता है? बैंक ओवरड्राफ्ट क्या हैं?

इस बैंक ओवरड्राफ्ट(OD account kya hai) ओवरड्राफ्ट, बैंक द्वारा दी गई एक सुविधा है जिसके अनुसार अगर आपके खाते में शून्य पैसे हो तो भी आप अपने बचत खाते या चालू खाते से पैसे आसानी से निकाल सकते हैं। यह सुविधा लगभग हर बैंक के द्वारा अपने ग्राहकों को दी जाती है।

ओवरड्राफ्ट(OD account kya hai) एक तरह से अल्पावधि ऋण है जो कि ग्राहकों को एक निश्चित समय सीमा के पहले चुकाना पड़ता है। ओवर ड्राफ्ट लेते समय ग्राहकों को ली गयी कुल रकम पर बैंक को कुछ व्याज भी देना होता है। इस सुविधा के द्वारा कस्टमर अपने खाते से जीरो बैलेंस के बाद भी बैंक द्वारा तय की गयी रकम की सीमा तक पैसा निकाल सकता है। कस्टमर जितना पैसा प्रयोग करने के लिए निकालेगा उस पैसे पर कस्टमर को ब्याज देना होता है।

ओवरड्राफ्ट(OD ACCOUNT) कितना प्रकार का होता है? Types of Overdraft

अधिकृत ओवरड्राफ्ट:-

इस तरह के ओवर ड्राफ्ट(OD Account) पूर्ण नियोजित अर्थात व्यवस्थित होते हैं अधिकृत तौर पर ड्राफ्ट में बैंक और व्यक्ति के बीच में पहले से ही स्वीकृति होती है कि वह व्यक्ति बैंक से एक निश्चित सीमा में ही ओवरड्राफ्ट के पैसे निकाल सकता है इसके लिए उन्हें कुछ सेवा शुल्क देना पड़ता है और यह शुल्क प्रतिदिन हफ्ते में या महीने में भी दिया जा सकता है। मुख्य तौर पर अधिकृत ओवरड्राफ्ट को चुना जा सकता है क्योंकि इसमें सभी चीजें व्यवस्थित होती है लेकिन कई बार यह महंगी हो सकती है तो इससे सावधान रहना आवश्यक है।

अनाधिकृत ओवरड्राफ्ट:-

इस तरह के ओवर ड्राफ्ट(OD ACCOUNT) में कोई पूर्ण व्यवस्था नहीं होती है और यह सब ओवरड्राफ्ट अनियोजित होते हैं इन ओवर ड्राफ्ट में आप बैंक और आपके बीच हुए समझौते से ज्यादा ओवर ड्राफ्ट की रकम यदि निकालते हैं तो आपको बाद में कुछ शुल्क देना आवश्यक होता है। इसमें अतिरिक्त शुल्क की मात्रा काफी ज्यादा होती है जो कि इस ओवर ड्राफ्ट को और भी महंगा बना देता है।

अब हम बात करते हैं ओवरड्राफ्ट(OD ACCOUNT) किस किस रूप में लिया जा सकता है। यदि आपने संपत्ति के अगेंस्ट ओवरड्राफ्टलिया है और अगर आप ऋण राशि निर्धारित समय पर चुकाने में असफल रहते हैं तो ऋणदाता के पास आपकी संपत्ति को नीलाम करने का हक होता है। 

ओवरड्राफ्ट(OD account) अकाउंट पर व्याज का कैलकुलेशन कैसे होता है ?

जब भी आपको पैसे की जरूरत होती है तो राशि सीधे आपके बैंक खाते में ओवरड्राफ्ट के रूप में भेज दिया जाती है। अपने खाते पर बैंक से ओवरड्राफ्ट लेने पर आप अपने खाते में बकाया राशि को बढ़ाते रहते हैं और जैसे ही आप अपने खाते में राशि जमा करते हैं तो वह अपने आप ही बैंक द्वारा आपके खाते से बकाया राशि काट ली जाती है, जब तक की ओवरड्राफ्ट की रकम पूरी नहीं हो जाती है।

अपने बैंक से जितनी भी ओवरड्राफ्ट(OD ACCOUNT) राशि ली है उस पर ब्याज की गणना हर रोज़ की जाती है क्योंकि अगर कर्ज लेने वाला, बैंक में राशि जमा करवाता है तो बैंक बिना बताए उस राशि को उसके द्वारा ली गई ओवरड्राफ्ट राशि को कम करने में इस्तेमाल कर सकता है। इसलिए ओवर ड्राफ्ट की राशि कम होती जाती है। इसी कारण से ओवर ड्राफ्ट की रकम पर ब्याज की गणना रोजाना की जाती है, क्योंकि ब्याज की राशि रोजाना बदल सकती है।

व्यापारियों के लिए ओवरड्राफ्ट(OD ACCOUNT) – Overdraft Account For Self Employed

ओवर डॉक्टर की सुविधा बिज़नेस व्यापारियों के लिए भी बहुत ही लाभदायक होता है। ओवरड्राफ्ट(OD ACCOUNT) व्यापारियों के लिए एक जीवन दान की तरह होता है। अगर किसी व्यापारी के बैंक खाते में राशि समाप्त हो जाए तो वह व्यापारी ओवर ड्राफ्ट का उपयोग करके पैसे कुछ समय के लिए ले सकता है। यह सुविधा मध्यम श्रेणी के व्यापारियों के लिए सबसे ज्यादा लाभदायक होती है।

व्यापारी इस सेवा का इस्तेमाल तभी कर सकते हैं जब उनके बैंक खाते में जमा राशि जीरो हो और उन्हें लेन देन में ज्यादा रकम की आवश्यकता है तो ऐसी स्थिती में बैंक के द्वारा व्यापार ओवरड्राफ्ट(OD ACCOUNT) सुविधा ग्राहकों के लिए कारगर सिद्ध होती है और उसे निर्धारित समय तक आप चुका भी सकते हैं हालांकि इस राशि पर आपको कुछ ऋण देना होता है।

सीसी अकाउंट क्या है?- CC Account Kya Hai?

हम बात करने वाले हैं कैश क्रेडिट और ओवरड्राफ्ट फैसिलिटीज के बारे में अब देखिए अगर आपको बिज़नेस चलाते हैं तो पैसों की रिक्वायरमेंट हर बिज़नेस में चाहिए होती है। ऐसे इंडीविजुअल भी हम लोगों को पैसों की रिक्वायरमेंट पड़ जाती है।

कैश क्रेडिट(cc account meaning) एक तरीके का शॉर्ट टर्म लोन फैसिलिटी है जो बैंक द्वारा किसी भी बिज़नेस के एक कम्पलीट वर्किंग कैपिटल साइकिल में आने वाले खर्चे को फाइनेंस करती है। जैसे एक मैन्युफैक्चरर को कच्चा मैटेरियल खरीदने से लेकर, सामान बनाकर बेचने और बेचकर पैसा वापस पाने तक के बीच में जो भी समय लगता है उसे एक मैन्युफैक्चरर की कम्पलीट वर्किंग कैपिटल साइकिल कहते है।  

कैश क्रेडिट(cc account) की जरुरत क्यू है?

कैश क्रेडिट(cc account) और ओवरड्राफ्ट आखिर होता क्या है कैश क्रेडिट(cc account) की अगर हम बात करें तो ये एक तरीके का शॉर्ट टर्म लोन होता है जो जेनरली कंपनीस को या बिज़नेस को प्रोवाइड किया जाता है उनकी वर्क कैपिटल रिक्वायरमेंट के लिए वर्किंग कैपिटल रिक्वायरमेंट का मतलब है मान लीजिए आपकी कोई मैनुफैक्चरिंग है आपको रॉ मटेरियल खरीदना पड़ता है उसके लिए पैसे नहीं है आपके पास तो वो एक आपकी रिक्वाइर्मन्ट हो सकती है फिर उसके बाद आपको स्टॉक्स मेंटेन करने के लिए कुछ टाइम पीरियड लग सकता है तब तक आपको अपने खर्चे चलाने होंगे।

उसके लिए भी आपको पैसों की जरूरत पड़ सकती है आपके रिसीवेबल्स हो सकते हैं तो अगर हम इसको एग्ज़ैम्पल से समझें मान लीजिए एक सोलर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है तो उसको अगर रॉ मटीरियल्स खरीदने के लिए पैसा चाहिए तो एक तो वहाँ उसकी रिक्वाइर्मन्ट आ जाती है।  उसके बाद वो इमीडियेटली तो बिक नहीं जाएगा। कच्चा माल पहले पहले वो प्रोसेसर करेगा। मैनुफैक्चर करेगा, तो उसे हम वर्क इन प्रोग्रेस में डालेंगे।

अब मान लीजिये कच्चा मटीरीअल आपका थोड़े टाइम तक वेयरहाउस में पड़ा रहेगा तो वो एक साइकिल होती है 20 दिन की साइकिल है।  मान लीजिए वो उसके बाद वर्क इन प्रोग्रेस से आपकी फिनिश्ड गुड्स में जाएगी तो इस तरीके के जब तक आपके पैनल बनेंगे तो उसका भी एक टाइम पीरियड होता है वो भी 30 दिन का पकड़ लेते हैं।  फिनिश गुड से लेके आपके इमीडिएट्ली तो बेच नहीं जाएंगे। जितनी भी पैनल्स है तो मान लेते हैं लेते हैं कि 45 दिन के अंदर मात्रा माल बिकता है कस्टमर तक पहुंचता है।  तो इस तरह से टोटल 110 दिन लग जाते है जो कच्चे माल से सामान बनाने और बेचकर पैसा वापस पाने को एक कम्पलीट बिज़नेस साइकिल कहते है। हम इसे ही वर्किंग कैपिटल साइकल भी बोलते है।

ओवरड्राफ्ट(OD account) क्या है ?

ओवरड्राफ्ट एक तरह से अल्पावधि ऋण है जो कि ग्राहकों को एक निश्चित समय सीमा के पहले चुकाना पड़ता है। ओवर ड्राफ्ट लेते समय ग्राहकों को ली गयी कुल रकम पर बैंक को कुछ व्याज भी देना होता है। इस सुविधा के द्वारा कस्टमर अपने खाते से जीरो बैलेंस के बाद भी बैंक द्वारा तय की गयी रकम की सीमा तक पैसा निकाल सकता है। कस्टमर जितना पैसा प्रयोग करने के लिए निकालेगा उस पैसे पर कस्टमर को ब्याज देना होता है।

ओवरड्राफ्ट(OD account) कितना प्रकार का होता है?

ओवरड्राफ्ट दो प्रकार का होता है।
1 :- अधिकृत ओवरड्राफ्ट
2 :- अनाधिकृत ओवरड्राफ्ट

सीसी अकाउंट (CC ACCOUNT KYA HAI) क्या है ?

कैश क्रेडिट एक तरीके का शॉर्ट टर्म लोन फैसिलिटी है जो बैंक द्वारा किसी भी बिज़नेस के एक कम्पलीट वर्किंग कैपिटल साइकिल में आने वाले खर्चे को फाइनेंस करती है। जैसे एक मैन्युफैक्चरर को कच्चा मैटेरियल खरीदने से लेकर, सामान बनाकर बेचने और बेचकर पैसा वापस पाने तक के बीच में जो भी समय लगता है उसे एक मैन्युफैक्चरर की कम्पलीट वर्किंग कैपिटल साइकिल कहते है।

अधिकृत ओवरड्राफ्ट क्या है ?

इस तरह के ओवर ड्राफ्ट पूर्ण नियोजित अर्थात व्यवस्थित होते हैं अधिकृत तौर पर ड्राफ्ट में बैंक और व्यक्ति के बीच में पहले से ही स्वीकृति होती है कि वह व्यक्ति बैंक से एक निश्चित सीमा में ही ओवरड्राफ्ट के पैसे निकाल सकता है इसके लिए उन्हें कुछ सेवा शुल्क देना पड़ता है और यह शुल्क प्रतिदिन हफ्ते में या महीने में भी दिया जा सकता है। मुख्य तौर पर अधिकृत ओवरड्राफ्ट को चुना जा सकता है क्योंकि इसमें सभी चीजें व्यवस्थित होती है लेकिन कई बार यह महंगी हो सकती है तो इससे सावधान रहना आवश्यक है।

OD account full form

ओवरड्राफ्ट अकाउंट

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जीएसटी क्या है?-GST KYA HAI-GST IN HINDI

GST KYA HAI

जीएसटी(goods and service tax) के बारे में जाने :-

इनपुट जीएसटी क्या है? आउटपुट जीएसटी(OUTPUT GST) क्या है? चार टाइप की जो सीजीएसटी(CGST), एसजीएसटी(SGST) आईजीएसटी(IGST), यूटीजीएसटी(UTGST) ये सब क्या है ? जीएसटी के स्लैब कितने होते हैं?

जीएसटी कहता है कि एक देश एक टैक्स होना चाहिए लेकिन ये अधूरा सत्य है गवर्नमेंट के पास पैसे का एक ही स्रोत है, वो टैक्स है अब टैक्स दो तरह से होता है एक डाइरेक्ट जो आदमी से लिया जाता है और एक इंडाइरेक्ट होता है जो किसी चीज़ की खरीद बिक्री पर लगता है। इंडाइरेक्ट टैक्स भी कई तरह के होते थे कस्टम ड्यूटी होती थी कोई विदेश से सामान मांगा दिया तो एक्साइज ड्यूटी सर्विस टैक्स सेल टैक्स, ये इंडाइरेक्ट टैक्स जो है यहाँ इन 17 टैक्स वापस मर्ज कर दिया गया और जो ये इंडाइरेक्ट टैक्स था इंडाइरेक्ट टैक्स को खत्म करके इसी जगह पर लाया गया जीएसटी।

जीएसटी भी एक इंडाइरेक्ट टैक्स होगा तो आप बताइए क्या ये वन नेशन वन टैक्स हुआ ये तो केवल इंडाइरेक्ट टैक्स को जीएसटी में बदल दिया गया।  डाइरेक्ट टैक्स में कोई बदलाव नहीं है आज भी आपको डाइरेक्ट टैक्स देना है सेंट्रल गवर्नमेंट का कॉरपोरेशन टैक्स होता है निगम का टैक्स वो काफी ज्यादा इससे इनकम होता है तो डाइरेक्ट टैक्स में कोइ बदलाव नहीं हुआ है।  इंडाइरेक्ट टैक्स है जो आपको जीएसटी है, और ये खरीद बिक्री पर आपको देना पड़ता है अब बात करते हैं कि जीएसटी किसको देना पड़ेगा, तो तीन ही लोग को देना पड़ेगा ध्यान से समझिए जिनका सालाना टर्नओवर लेनदेन 20,00,000 का है।

उसके बाद एक और चीज़ होता है ऑनलाइन अगर आप ₹10 का भी होगा तो आपको जीएसटी लगेगा जैसे फ्लिपकार्ट से कोइ सामान मंगवाएंगे तो उस पर जीएसटी लगेगा।

ये 20,00,000 का जो रेसियो है ये पहाड़ी क्षेत्रों जैसे अरुणाचल प्रदेश वगैरह वहाँ 20,00,000 के बिज़नेस का मतलब बहुत बड़ा दुकान हो जाएगा तो वह पहाड़ी एरिया में जनसंख्या कम होती है वहाँ पर कुछ पहाड़ी वाला एरिये बाई इसकी कैटेगरी 10,00,000 रखी गई है।

जीएसटी के टोटल चार टाइप है।

सीजीएसटी(CGST):- सीजीएसटी का मतलब सेंट्रल जीएसटी

एसजीएसटी(SGST):- एसजीएसटी का मतलब स्टेट जीएसटी

यूटीजीएसटी(UTGGT):- यूटी का मतलब है केंद्र शासित यूनियन टेरिटरी का जीएसटी है

आइजीएसटी(IGST):- इंटिग्रेटेड जीएसटी आईजीएसटी मतलब जैसे एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाएंगे सामान बेचने तो उसे पर आइजीएसटी लगेगा।

यदि आप सेम स्टेट में कोई बिज़नेस कर रहे हैं तो आपको सीजीएसटी और स्टेट जीएसटी/ यूटी जीएसटी देना होगा। यदि आप एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान बेचते है तो आईजीएसटी लगेगा।

 जैसे आप कोइ सामान खरीदते है तो उस पर 18% जीएसटी लगेगा।  इसमें एसजीएसटी 9% है और सीजीएसटी 9% यानी दोनों जोड़कर 18 होता है। ये हर एक स्टेट में यही रूल लगता है।

लेकिन वैसे राज्य जो यूनियन टेरिटरी जैसे जम्मू कश्मीर, लद्दाख, पांडिचेरी, दिल्ली, तो दिल्ली क्या है, एक यूनियन है। अब दिल्ली ये जो है वो तो सेंट्रल गवर्नमेंट के अंदर है अगर आप दिल्ली में सामान बेच रहे हैं तो सेंट्रल गवर्नमेंट के अंडर में आएँगे तो दिल्ली आपसे क्या लेगा आपसे सेंट्रल गवर्नमेंट की सीजीएसटी और दिल्ली जीएसटी तो ले ही नहीं सकता क्योंकि वो स्टेट तो है ही नहीं है दिल्ली जो है वो यूनियन टेरिटरी हैं तो केवल यहाँ यूटीजीएसटी लगेगा।

अगर एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान चला गया था तो उसे कहते हैं आईजीएसटी यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी, इंटिग्रेटेड जीएसटी तभी लगेगा जब एक राज्य से दूसरे राज्य में आपका सामान जाएगा यदि कोई सामान राजस्थान में बन रहा है और वो चला आया आपका बिकने के लिए उत्तर प्रदेश।  इस कंडीशन में आईजीएसटी चार्ज होगा जो केंद्र सरकार के पास जाएगा जो बाद में केंद्र यूपी सरकार को दे देगा । क्योकी सामान को यूपी में बेचा रहा है।  इसी लिए डेस्टिनेशन जीएसटी भी कहते हैं, क्योंकि ये वही लगता है जहाँ सामान को आदमी खरीदता है। इससे फायदा क्या हुआ, देखिए राजस्थान को फायदा ये हुआ कि वहाँ सामान बना उसका रोजगार वहा के लोगो को मिला और यूपी को फायदा ये हुआ कि सामान अल्टीमेट यहाँ बिकने आया था इसलिए इसको टैक्स मिल गया।

जीएसटी के लाभ-GST KE LABH-GST KE FAYADE

आप पहले पुराना तरीका समझे क्या होता था हर राज्य जो थे अपने अपने मर्जी से टैक्स लेते थे यू पी लेता था 12% सर्विस टैक्स तो बिहार लेता था 14% अब आप बताइए किसी सामान पर अगर यूपी में 12% टैक्स है तो वही सामान पर अगर बिहार में 14% है तो बिहार में सामान महंगे हो जाएंगे इसलिए बिहार के लोग समीपवर्ती जिला जो यूपी से सटा रहता था वो सामान खरीदने यूपी चले जाते थे।

पहले क्या होता था सामान जहा बनाता था टैक्स उसी राज्य को मिलता था सिर्फ। जैसे गुजरात सरकार होशियार थी। इसमें गुजरात सरकार ने कहा कि भाई हम टैक्स सबसे कम लेंगे हमारे यहाँ जो भी कंपनी आएगी सामान बनाने के लिए। पहले सारा सारा का सारा सामान गुजरात में बनाती थी तो सेंट्रल गवर्नमेंट को दे दी थी एक्साइज ड्यूटी और गुजरात को देती थी। सामान  गुजरात से बना बना के पूरा हिंदुस्तान बेचती थी।  बाकी राज्य चुपचाप देखते रहते थे। गुजरात से आया है, हमको ना टैक्स मिलाना ना कुछ अब फायदा होगा। इसीलिए पहले के जमाने में फैक्ट्रियां गुजरात महाराष्ट्र मेँ भाग गयी गुजरात महाराष्ट्र गवर्नमेंट के पास बहुत पैसा था उन लोगों ने अपना टैक्स का जो रेसियो कम कर दिया था दिया।

जीएसटी(GST) आ जाने से हर जगह टैक्स बराबर है तो हम गुजरात में बना के हम असम में क्यों बेचेंगे।  हमारा ट्रांसपोर्ट का खर्च आएगा। अब  हम एक छोटा सा कारखाना गुजरात में लगा देते हैं जो इस एरिया को कवर करेगा। और असम में भी लगा देते हैं इस एरिया को डेवलप करेगा। 

आप पूरे हिन्दुस्तान में कही लीजिए सेम ब्रैंड का सामान लीजिये आपको एक ही दाम में मिलेगा। अगर जैसे कार है कोई लग्जरी कार 28% टैक्स है आप दिल्ली में लीजिए या कन्याकुमारी कश्मीर कहीं भी लीजिए दाम एक ही होगा। क्योंकि जीएसटी में आ गया है।

अब पेट्रोल जीएसटी(GST) के दायरे में नहीं आया। आप दिल्ली में पेट्रोल लेंगे तो अलग दाम होगा, गुजरात मिलेंगे तो अलग हो गया। शराब जीएसटी में नहीं आया दिल्ली में शराब का रेट अलग हैं यूपी में शराब का रेट अलग है।

इनपुट जीएसटी(INPUT GST) और आउटपुट जीएसटी (OUTPUT GST) क्या है ?

आउट जीएसटी और इनपुट जीएसटी जैसे मान लीजिए कि हम एक दुकानदार हैं हम कोई सामान खरीद के लाएं ₹100 का सामान खरीदकर लाए तो उसपे 10% जीएसटी है तो हमको वो सामान कितने का पड़ेगा ₹110 यहाँ हमने जीएसटी के रूप में कितना दे दिया ₹10 यहाँ दे दिया। अब उसी सामान को हम दूसरे को बेचेंगे तो हमको इसमें प्रॉफिट भी होना चाहिए।  हम सोचेंगे हमको खुद 110 का पड़ा है ये काम करते है हम इसको ₹150 में बेचेंगे जो खरीदेगा हमसे वो फिर हमको जीएसटी देगा।  इस पर 10% तो 150 में 10% जीएसटी जोड़ देंगे तो हमको मिल गया ₹165 अब आप बताइए ₹10 हम यहाँ जीएसटी दिए हैं अपने जेब से और वो बंदा जो हमसे खरीदा है वो भी 10% यानी ₹15 यहाँ जीएसटी दे दिया है एक 150 का 10% तो जीएसटी ₹15, .तो क्या फिर ₹15 भी गवर्नमेंट को दें देना होगा। ऐसा कुछ भी नहीं ही हमने ₹10 पहले दिया अब जो ₹15 का जीएसटी है हम ₹15 नहीं देंगे क्योकि हमने ₹10 पहले दे दिया है अब हम जीएसटी ₹15 में से ₹10 घटा देंगे जो की ₹5  है वो देंगे इस तरह से आउट जीएसटी हमारा ₹10 हुआ और इन जीएसटी ₹5 हुआ।  अब हमने दोनों जीएसटी मिलाकर ₹10 और ₹5 → ₹15 दे दिया।

तो अगर कोइ जीएसटी चोरी कर लिया तो उसको को 5 साल का जेल होगा।

राष्ट्रपति ने जीएसटी बिल पर साइन कब किया था तो 8 सितंबर 2016 को तो 8 सितंबर 2016 को राष्ट्रपति ने साइन कर दिया क्योंकि इसमें राज्यों के भी हित को रखा गया था।

इसलिए संविधान है कि राष्ट्रीय राज्य भी इसमें क्या करेंगे सहमति देंगे सबसे पहले कौन से राज्य में सहमति दिया था तो असम ने सबसे पहले और  बाद में जम्मू कश्मीर इसे लागू कर दिया गया सबको पता है। 1 जुलाई 2017 से पूरे देश में ये हमारा जीएसटी लागू हो गया। जीएसटी में पांच मूल दरें शामिल हैं: 0 प्रतिशत, 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत।

GST official website(register for gst)—> जीएसटी वेबसाइट (gst registration-gst registration online)

राष्ट्रपति ने जीएसटी बिल पर साइन कब किया था?

8 सितंबर 2016 को राष्ट्रपति ने जीएसटी बिल पर साइन किया।

जीएसटी सबसे पहले किस राज्य में लागू हुआ ?

असम जीएसटी लागू करने वाला पहला राज्य बना।

सबसे बाद में जीएसटी लागू करने वाला राज्य कौन सा है ?

जम्मू एंड कश्मीर

जीएसटी पुरे देश में कब लागू हुआ ?

1 जुलाई 2017 से पूरे देश में ये हमारा जीएसटी लागू हो गया।

जीएसटी बिल को पारित करने के लिए कौन सा संवैधानिक संशोधन किया गया है?

जीएसटी बिल को पारित करने के लिए 101वां संवैधानिक संशोधन किया गया है।

GST परिषद में कुल सम्मिलित सदस्यों की संख्या कितनी है?

33

भारत का GST किस देश के मॉडल पर आधरित है?

कनाडा

GST पंजीकरण में कुल कितने अंक है?

15

वार्षिक टर्नओवर कितने से अधिक होने पर GST भुगतान अनिवार्य है ?

20 लाख

जीएसटी में टैक्स की कितनी दरें है?

जीएसटी में पांच मूल दरें शामिल हैं: 0 प्रतिशत, 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत।

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MSME क्या है ? – MSME KYA HAI?

MSME क्या है ?

MSME को माइक्रो स्माल मीडियम इंटरप्राइजेज (MICRO SMALL MIDIUM INTERPRISES) कहते है जिसे हिंदी में सूक्ष्म लघु माध्यम उद्योग कहते है। MSME में मैन्युफैक्चरिंग एंड सर्विसेज क्षेत्र दोनों को लिया जाता है। इन्वेस्टमेंट और टर्नओवर के आधार पर हम दोनों क्षेत्र को माइक्रो, सूक्ष्म और स्माल क्षेत्र में विभाजित कर सकते है। 

MSME का हमारे समाज में बहुत बड़ा योगदान है। हमारे देश में 45% से ज्यादा रोजगार MSME क्षेत्र से आता है। हमारे देश में 50% से ज्यादा एक्सपोर्ट MSME से होता है। हैवी उद्योग के मैन्युफैक्चरिंग का 80% उत्पादन MSME  के द्वारा होता है। 

 यदि MSME ठप्प हो गया तो देश का आधी जनता बेरोजगार हो जायेगी। हमारे देश MSME के ऊपर ज्यादा निर्भरता है। देश के अधिकाँश लोगो की रोजी रोटी MSME उद्योग से चलती है। 

MSME KYA HAI

MSME अधिनियम 2006

MSME उपक्रम की शुरुवात भारत सरकार द्वारा  2006 में की गयी थी। जिससे MSME  क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और लोगो को अधिक से अधिक रोजगार मिलेगा। MSME में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया गया है। 

 उद्योग के प्रकार (2006 )मैनुफैक्चरिंग सेक्टरसर्विस सेक्टर
सूक्ष्म  उद्योग25 लाख तक10 लाख तक
लघु  उद्योग25 लाख से 5 करोड़ रुपये तक10 लाख से 2 करोड़ के बीच
मध्यम  उद्योग5 करोड़ से 10 करोड़ के बीचअधिकतम 5 करोड़ तक

MSME अधिनियम 2018

यह अधिनियम का प्रावधान  2006 से चल रहा था जिसे 2018 में संशोधन किया गया और MSME के प्रावधान में अधिक छूट के साथ नए व्यवस्था की गयी। जिसमे इन्वेस्टमेंट के साथ कंपनी के टर्न ओवर के को शामिल किया गया और टैक्स का निर्धारण किया गया। 

 उद्योग के प्रकार (2018  )टर्न ओवर 
सूक्ष्म  उद्योग5 करोड़ से कम सालाना टर्नओवर
लघु  उद्योग5 करोड़ से 75 करोड़ के बीच सालाना टर्नओवर
मध्यम  उद्योग75 करोड़ से 250 करोड़ के बीच सालाना टर्नओवर

MSME अधिनियम 2020

यह अधिनियम का प्रावधान  2018  से चल रहा था जिसे 2020  में कोरोना राहत पैकेज के साथ संशोधन किया गया और MSME के प्रावधान में अधिक छूट के साथ नए व्यवस्था की गयी। जिसमे इन्वेस्टमेंट के साथ कंपनी के टर्न ओवर के को शामिल किया गया और टैक्स का निर्धारण किया गया। 

Snoउद्योग के प्रकार (2020)टैक्स स्लैब मैनुफैक्चरिंग सेक्टर/सर्विस सेक्टर(इन्वेस्टमेंट ) मैनुफैक्चरिंग सेक्टर/सर्विस सेक्टर(टर्न ओवर) )
  
1सूक्ष्म  उद्योग8% 1 करोड़   5 करोड़ 
2लघु  उद्योग10% 10 करोड़  50 करोड़
3मध्यम  उद्योग12% 20 करोड़ 100 करोड़ 

MSME  स्कीम का लाभ उठाने के लिए भारत सरकार के वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रशन(Msme registration online) करना होत्ता है।  रजिस्ट्रेशन के बाद आप MSME स्कीम का लाभ उठा सकते है।  सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग क्षेत्र का देश के विकास में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। लघु उद्योग क्षेत्र के योगदान को देखते हुए सरकारी बैंक के साथ ही साथ प्राइवेट क्षेत्र की नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनियां (एनबीएफसी) भी कम ब्याज दर बिजनेस लोन प्रदान कर रही हैं।

MSME के योगदान :-

1 – MSME  के द्वारा हमारे देश के लोगो को  45% से ज्यादा का रोजगार मिलता है।  

2 :-  MSME  के द्वारा 50 % से ज्यादा एक्सपोर्ट किया जाता है। 

3 :- 80 % उद्योग के सामानो की मैन्युफैक्चरिंग ऍमएसऍमई के द्वारा होती है। 

4 :- 6500 से ज्यादा प्रोडक्ट हमारे देश में ऍमएसऍमई कंपनी के द्वारा बनायी जाती है। 

5 :- देश के विकाश(GDP) में 10 % का योगदान है।  

ऍमएसऍमई लोन क्या है और कैसे अप्लाई करे :-(MSME LOAN)

सरकार आपको ऍमएसऍमई लोन दे रही है जिसे आप आसानी के साथ ले सकते है। इसके लिए लिए आपको बैंक के कुछ आसान शर्तो को पालन होगा। एमएसएमई लोन को अप्लाई करने केलिए  3 साल पुरानी एमएसएमई रजिस्ट्रेशन अगर आपके पास है आपकी  25उम्र  से 55 साल के बीच में है यानी कि जो इंडिविजुअल एमएसएमई बिजनेस पर रजिस्टर्ड है 25 से 55 साल की उम्र का है और 3 साल पुराना आपका बिज़नेस है आप एमएसएमई लोन को अप्लाई करके एमएसएमई लोन की सुविधाओं का फायदा उठा सकते हैं। 

ऍमएसऍमई अप्लाई करने के लिए जरुरी डाक्यूमेंट्स :-

आवश्यक दस्तावेज: –
पहचान प्रमाणपहचान पत्रपैन कार्ड / ड्राइविंग लाइसेंस / पासपोर्ट / मतदाता/ आधार कार्ड
पता प्रमाणपासपोर्ट / ड्राइविंग लाइसेंस / मतदाता पहचान पत्र / आधार कार्ड / उपयोगिता बिल / बैंक विवरण / बैंक खाता पासबुक (अपडेट किया गया और 2 महीने से अधिक पुराना नहीं) )
स्वामित्व प्रमाणअनुबंध प्रति / बिजली बिल / शेयर प्रमाण पत्र के साथ रखरखाव बिल / नगर कर बिल / शेयर प्रमाण पत्र
व्यापार निरंतरता प्रमाण / कार्यालय पता प्रमाण / कंपनी केवाईसीदुकान स्थापना प्रमाण पत्र / कर पंजीकरण-वैट / सेवा कर / जीएसटी पंजीकरण/कंपनी पैन कार्ड 
फर्म संविधान (फर्म कॉन्स्टिटूशन )एमओए , एओए,  पार्टनर शिप डीड, जीएसटी पंजीकरण प्रमाणपत्र, कंपनी पैन कार्ड, MSME रजिस्ट्रशन पत्र  
वित्तीय(फाइनेंसियल )1. नवीनतम दो साल का वित्तीय (बैलेंस शीट, प्रॉफिट एंड लॉस , अचल संपत्ति, डेप्रिसिएशन,, सभी अनुसूची 2. नवीनतम टैक्स ऑडिट रिपोर्ट।
बैंकिंगपिछले बारह महीने का बैंक स्टेटमेंट (बिजनेस अकाउंट्स)
ऑफिस एड्रेस प्रूफ/ कंपनी केवाईसीदुकान और स्थापना प्रमाणपत्र/कर पंजीकरण-वैट/सेवा कर/जीएसटी पंजीकरण

ऍमएसऍमई में सब्सिडीज और इंसेंटिव क्या  है ?MSME SUBSIDY AND MSME INCENTIVE

सबसे पहले हम यह जानेंगे की  गवर्नमेंट सब्सिडी और इंसेंटिव में क्या डिफरेंस है ? सब्सिडी आपको नॉर्मली टैक्स पर छ्हूत मिलता है जैसे की आपका टैक्स स्लैब दस पर्सेंट है और सरकार आपसे 8 पर्सेंट टैक्स लेगी यानी की अपफ्रंट आपको दो परसेंट की छूट दे रही इसे हम सब्सिडी बोलेंगे। जबकि इन्सेंटिव में ये नहीं होता है।  इंसेंटिव में आपको टैक्स पूरा डेपोजिट करना होता है जिसे सरकार बाद में अपनी पालिसी के हिसाब से आपको टैक्स का कुछ हिस्सा वापस आरती जिसे इंसेंटिव कहते है।  

गवर्नमेंट सब्सिडी अगर इनडायरेक्ट टैक्सेस के फॉर्म में देती है तो आप में प्राइसिंग कम्पटीट कर सकते हैं मार्केट में। आप दूसरों से कम रेट में माल भेज सकते हैं या फिर अच्छी प्रॉफिट मार्जिन करके आप मार्केट में टिक सकते हैं। इनडायरेक्ट टैक्सेस से काफी ज्यादा बेनिफिट होता है। 

ऍमएसऍमई में सब्सिडीज और इंसेंटिव क्या  है ?

सबसे पहले हम यह जानेंगे की  गवर्नमेंट सब्सिडी और इंसेंटिव में क्या डिफरेंस है ? सब्सिडी आपको नॉर्मली टैक्स पर छ्हूत मिलता है जैसे की आपका टैक्स स्लैब दस पर्सेंट है और सरकार आपसे 8 पर्सेंट टैक्स लेगी यानी की अपफ्रंट आपको दो परसेंट की छूट दे रही इसे हम सब्सिडी बोलेंगे। जबकि इन्सेंटिव में ये नहीं होता है।  इंसेंटिव में आपको टैक्स पूरा डेपोजिट करना होता है जिसे सरकार बाद में अपनी पालिसी के हिसाब से आपको टैक्स का कुछ हिस्सा वापस आरती जिसे इंसेंटिव कहते है।  

ऍमएसऍमई के योगदान?

1 – ऍमएसऍमई के द्वारा हमारे देश के लोगो को 45% से ज्यादा का रोजगार मिलता है।
2 :- MSME के द्वारा 50 % से ज्यादा एक्सपोर्ट किया जाता है।
3 :- 80 % उद्योग के सामानो की मैन्युफैक्चरिंग ऍमएसऍमई के द्वारा होती है।
4 :- 6500 से ज्यादा प्रोडक्ट हमारे देश में ऍमएसऍमई कंपनी के द्वारा बनायी जाती है।
5 :- देश के विकाश(GDP) में 10 % का योगदान है।

पहला ऍमएसऍमई अधिनियम कब बना ?

पहला ऍमएसऍमई अधिनियम 2006 में बना।

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सिबिल स्कोर क्या होता है?- Cibil score kya hota hai

CIBIL SCORE

सिबिल स्कोर -CIBIL SCORE-Credit Information Bureau (India) Limited

बैंक पहले जब हमें  लोन देते थे तो कस्टमर का सारा रिकॉर्ड मैनुअली मेंटेन करके रखते थे, तो बैंक या फाइनेंस  कंपनियों के पास एक दूसरे बैंक का का कस्टमर के बारे में कोई भी रिकॉर्ड नहीं होता था यदि कोई कस्टमर फ्रॉड करता थी तो दूसरे बैंक या फाइनेंस कंपनियों को इसके बारे में पूरा पता नहीं चल पाता था।

जिससे डिफॉल्ट कस्टमर को भी लोन आसानी से मिल जाता था।  बाद में जब यह महसूस हुआ की एक ऐसी संस्था बनायी जाए जिसके पास कस्टमर के क्रेडिट इनफार्मेशन के बारे में सभी जानकारी हो और बैंक या फाइनेंस कंपनी जब कस्टमर को लोन दे तो लोन देने से पहले कस्टमर की सारी क्रेडिट इनफार्मेशन उसे पता चल जाए और वो उसी के आधार पर तय कर ले की कस्टमर को लोन देना है या नहीं। 

अब मान लीजिए कोई कस्टमर लोन लेना चाहता है तो बैंक उस कस्टमर के बारे में पीछे का सारा रिकॉर्ड सिविल से चेक कर लेता है जिससे यह पता चल जाता है लोन देना सही रहेगा या जोखिम भरा रहेगा। बैंक या  एनएफसी को कस्टमर के पेमेंट हिस्ट्री के बारे में सही पता चल गया तो  आराम से लोन दे सकता है यदि कस्टमर की पेमेंट हिस्ट्री सही नहीं है तो बैंक से लोन देने से मना कर देगा। CIBIL में कस्टमर के बारे में सारा रिकॉर्ड आता है कस्टमर ने  कहां कहां से लिया है और कितना लोन लिया है किस तारीख को लिया है, कस्टमर लोन दे रहा है या नहीं दे रहा है, देर करके दे रहा है।  ये सभी रिकॉर्ड CIBIL में देख कर पता लगाया जा सकता है।

अब कोई भी बैंक लोन देता है तो कस्टमर की लोन का सारा इनफार्मेशन CIBIL में टाइम – टाइम पर सबमिट करता रहता है।  जिससे CIBIL के पास कस्टमर का सारा इनफार्मेशन मेन्टेन रहता है। बैंक आपको लोन देगा या नहीं देगा ये सारा CIBIL रिपोर्ट पर निर्भर करता है।

CIBIL क्या है ? – Cibil score in Hindi

हम यह कहा सकते सिबिल रिपोर्ट किसी भी कस्टमर के बारे में एक प्रकार का क्रेडिट इनफार्मेशन है।  जिसमे कस्टमर के द्वारा ली गयी सभी लोन, क्रेडिट कार्ड , ओवर ड्राफ्ट फैसिलिटी और इन सभी डेब्ट के रेपेमेट की हिस्ट्री का रिकॉर्ड होता है।  CIBIL इन सभी क्रेडिट इनफार्मेशन के आधार पर एक स्कोर जेनेरेट करता है जिसे हम CIBIL SCORE कहते है यह 3 अंको का होता है जो 300 से स्टार्ट होता है 900 तक जाता है।

CIBIL एक क्रेडिट ब्‍यूरो या क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है जो लोगों के साथ कंपनियों की क्रेडिट से जुड़ी गतिविधियों के रिकॉर्ड को मेनटेन करती है. इनमें क्रेडिट कार्ड, लोन, ओवर ड्राफ्ट, कॅश क्रेडिट  शामिल हैं।

जिस कस्टमर की सिबिल स्कोर(Cibil score) जितना ज्यादा होगा बैंक उसे लोन आसानी से दे देगा। unsecured loan के लिए मिनिमम सिबिल स्कोर बैंक के लिए 760 और फाइनेंस कंपनी के लिए 700 होना चाहिए। ठीक उसी तरह सिक्योर्ड लोन के लिए बक सिबिल स्कोर 700 और फाइनेंस कंपनी को 650 चाहिए होता है।

सिबिल स्कोर कैसे कैलकुलेट होता होता है ? – CIBIL SCORE KAISE CALCULATE HOTA HAI

  1. पेमेंट हिस्ट्री :- यदि किसी कस्टमर की पेमेंट हिस्ट्री अच्छी है और EMI  टाइम से देता है तो सिबिल स्कोर अच्छा रहेगा।
  2. लोन के बार बार आवेदन करना (CIBIL  enquiry):- यदि कोइ लोन के लिये बैंक या फाइनेंस कंपनी में बार बार आवेदन करता है तो उसका सिबिल स्कोर घटता है।
  3. क्रेडिट मिक्स लोन :- यदि आप के पास सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड लोन दोनों चला रहा है तो इससे सिबिल स्कोर पर सकारात्मक असर होता है। 
  4. हाई क्रेडिट यूटिलाइजेशन:- हाई क्रेडिट यूटिलाइजेशन: से क्रेडिट स्कोर(Cibil score) पर नकारात्मक असर होता है। 

सिबिल स्कोर कैसे सुधार सकते है ? – CIBIL SCORE KAISE SUDHAR SAKATE HAI

  1. अपने EMI का भुगतान समय पर करे , पेमेंट करने में देर ना करे। 
  2. क्रेडिट कार्ड का ज्यादा यूज करने से बचे। 
  3. होम और ऑटो लोन जैसे सिक्योर्ड लोन और पसर्नल और क्रेडिट कार्ड सरीखे अनसिक्योर्ड लोनों के बीच संतुलन बनाएं. बहुत ज्यादा अनसिक्योर्ड लोन को अच्छा नहीं माना जाता है। 
  4. अपने खर्चे में कटौती करे जिससे लोन और क्रेडिट कार्ड की ज्यादा जरुरत ना पड़े। 

CIBIL का इतिहास:-

2000ट्रांसयूनियन सिबिल लिमिटेड (पहले क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड) की स्थापना आरबीआई सिद्दीकी कमिटी की सिफारिशों के आधार पर की गई।
2004भारत में क्रेडिट ब्यूरो सर्विसेस की शुरूआत की गई (कन्ज्यूमर ब्यूरो).
2006कमर्शियल ब्यूरो ऑपरेशन्स का आरंभ हुआ।
2007बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए भारत का पहला जेनेरिक रिस्क स्कोरिंग मॉडल, सिबिल स्कोर पेश किया गया।
2010भारत में क्रेडिट इंडस्ट्री के लिए निम्नलिखित दो नई शुरूआतें हुईं । सिबिल डिटेक्ट: हाई रिस्क गतिविधि पर जानकारी के लिए भारत का पहला रिपॉजिटरी । सिबिल मॉर्टगेज चेक: भारत में मॉर्टगेजेस पर पहला सेंट्रलाइज्ड डाटाबेस।
2011सिबिल ट्रांसयूनियन स्कोर व्यक्तिगत ग्राहकों के लिए उपलब्ध कराया गया ।
2016ट्रांसयूनियन ने सिबिल में 82% हिस्सेदारी ग्रहण की और ट्रांसयूनियन सिबिल बन गई जो भारत की अग्रणी क्रेडिट इन्फॉर्मशन कंपनी है ।

CIBIL क्या है ?

हम यह कहा सकते सिबिल रिपोर्ट किसी भी कस्टमर के बारे में एक प्रकार का क्रेडिट इनफार्मेशन है।  जिसमे कस्टमर के द्वारा ली गयी सभी लोन, क्रेडिट कार्ड , ओवर ड्राफ्ट फैसिलिटी और इन सभी डेब्ट के रेपेमेट की हिस्ट्री का रिकॉर्ड होता है।  CIBIL इन सभी क्रेडिट इनफार्मेशन के आधार पर एक स्कोर जेनेरेट करता है जिसे हम CIBIL SCORE कहते है यह 3 अंको का होता है जो 300 से स्टार्ट होता है 900 तक जाता है।

सिबिल स्कोर(Cibil score) कैसे कैलकुलेट होता होता है ?

पेमेंट हिस्ट्री :- यदि किसी कस्टमर की पेमेंट हिस्ट्री अच्छी है और EMI टाइम से देता है तो सिबिल स्कोर अच्छा रहेगा।
लोन के बार बार आवेदन करना (CIBIL enquiry):- यदि कोइ लोन के लिये बैंक या फाइनेंस कंपनी में बार बार आवेदन करता है तो उसका सिबिल स्कोर घटता है।
क्रेडिट मिक्स लोन :- यदि आप के पास सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड लोन दोनों चला रहा है तो इससे सिबिल स्कोर(Cibil score) पर सकारात्मक असर होता है।
हाई क्रेडिट यूटिलाइजेशन:- हाई क्रेडिट यूटिलाइजेशन: से क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक असर होता है।

सिबिल स्कोर(Cibil score) कैसे सुधार सकते है ?

अपने EMI का भुगतान समय पर करे , पेमेंट करने में देर ना करे।
क्रेडिट कार्ड का ज्यादा यूज करने से बचे।
होम और ऑटो लोन जैसे सिक्योर्ड लोन और पसर्नल और क्रेडिट कार्ड सरीखे अनसिक्योर्ड लोनों के बीच संतुलन बनाएं. बहुत ज्यादा अनसिक्योर्ड लोन को अच्छा नहीं माना जाता है।
अपने खर्चे में कटौती करे जिससे लोन और क्रेडिट कार्ड की ज्यादा जरुरत ना पड़े।

सिबिल स्कोर का फुल फॉर्म

CIBIL SCORE-Credit Information Bureau (India) Limited

फ्री सिबिल स्कोर यहाँ चेक करे।-check cibil score by pan card

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